श्री बल्लभराम शर्मा का जन्म राजस्थान के भरतपुर जिले के डीग उपखण्ड के गांव अऊ में बहुत ही निर्धन ब्राहम्ण परिवार में 13 दिसंबर 1936 को श्री नत्थीलाल शर्मा व श्रीमति सोंमोंती देवी के घर हुआ था परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होंने के कारण इनका बचपन बहुत ही अभावों में गुजरा। श्री बल्लभराम शर्मा 5 भाई बहिनों में सबसे बडे थे। पढाई में बचपन से ही मेधावी छात्र रहे श्री बल्लभराम शर्मा ने हायर सैकेण्डी बोर्ड परीक्षा हायर सैकेण्डरी स्कूल डीग से उत्तीर्ण की। पढाई के दौरान ही इनका विवाह श्रीमति मोहनदेई के साथ हुआ परन्तु विवाह के कुछ समय पश्चात ही पिता श्री नत्थीलाल शर्मा का आकस्मिक निधन हो गया और पिताजी के निधन के साथ ही इनके जीवन संघर्ष की शुरूआत भी हुई। भाई बहिनों में सबसे बडे होंने के कारण परिवार के लालन पालन का बोझ अल्प आयु में ही इनके कन्धों पर आ गया। पिता की मृत्यू के समय इनके सबसे छोटे भाई श्री किषनोराम शर्मा से0नि0 प्र0अ0 की उम्र मात्र 2 वर्ष थी। कम उम्र में परिवार के पालन पोषण के उत्तरदायित्व के भार से दबे श्री बल्लभराम शर्मा ने न चाहते हुए भी पढाई छोड दी और मजदूरी करने लगे। कठिन परिश्रम करते हुए छोटे भाई बहिनों को पढाई के लिए प्रेरित किया। 3-4 बर्षों तक घरेलू नौकर के रूप में नौकरी करने के बाद 31 जुलाई 1958 को इन्हें प्रारम्भिक षिक्षा में अध्यापक के रूप में राजकीय सेवा में नियुक्ति मिली परन्तु परिवार की जिम्मेदारियों का भार इतना अधिक था कि राजकीय सेवा के साथ साथ ही गांव के बडे जमींदारों की खेती में भी मजदूरी करते हुए कठिन परिश्रम किया साथ ही निर्धन परिवारों के मेधावी विधार्थियों की हर संभव मदद करते रहे। सतत् कठिन परिश्रम के बाद परिवार की स्थिति कुछ सुधरी, बहिन भाइयों की शादी की। छोटे भाई स्व0 श्री दयाचन्द शर्मा को भी प्रारम्भिक षिक्षा में अध्यापक की नौकरी मिल गई। इस समय तक परिवार के उत्तरदायित्वों का भार कुछ कम हुआ तो फिर पढाई की ओर रूझान हुआ और जीवन के आधे पडाव लगभग 45 वर्ष की आयु के बाद स्नातक, स्नातकोत्तर व बीएड की परीक्षा उत्तीर्ण की जिसके बाद 30 नबम्बर 1984 को इन्हें पदोन्नति देकर हाल ही क्रमोन्नत हुए रा0उ0प्रा0वि0पाटका, नगर में नियुक्त किया गया। एक कमरे के भवन में संचालित उस विधालय का अपनी मेहनत मृदु व्यवहार व शालीनता से ग्रामीणों का सहयोग प्राप्त कर भवन निर्माण करवाया। इनके द्वारा षिक्षा के क्षेत्र में दी गई उत्कृष्ठ सेवाओं के लिए कई पुरूष्कार भी प्राप्त हुए। विभिन्न स्थानों पर राजकीय सेवा में सेवारत रहते हुए 31 दिसम्वर 1994 को 35 वर्ष की गौरवमई राजकीय सेवा पूर्ण कर सेवा निवृत्त हुए। इस समय तक ज्येष्ठ पुत्र श्री लक्ष्मण कुमार शर्मा सहित पांचों पुत्र पुत्रियां अपने अपने कार्यक्षेत्र में संतोषजनक रूप से स्थापित हो चुके थे। सेवा निवृति के बाद अपने सीमित संसाधनों व क्षमताओं के अनुरूप समाज सेवा भी करते रहे परन्तु मन में एक सपना था कि जिन जीवन परिस्थितियों व संघर्षों का सामना मेरे द्वारा किया गया ऐसी परिस्थितियों में समाज में जीवन यापन करने वाले लोगों की सेवा की जाए। यह विचार उन्होंने दिनांक 16 मार्च 2017 को खराव स्वास्थ के दौरान ज्येष्ठ पुत्र श्री लक्ष्मण कुमार शर्मा से साझा किए। मात्र 15 दिवस की बीमारी के उपरांत दिनांक 4 अप्रेल 2017 को 82 वर्ष की आयु में अचानक हृदयाघात से श्री बल्लभराम शर्मा का देहावसान हो गया। उन्होंने अपना जीवन जिस सेवा भाव के मार्ग पर चलते हुए ईमानदार सतत् सघर्ष, कठिन परिश्रम, नेकी और अच्छाई की परिकल्पना के साथ संपूर्ण किया उन्ही की प्रेरणा से मानव सेवा के लिए उनके द्वारा देखे गऐ एक स्वप्न को पूरा करने के उद्देष से ‘‘ंश्री बल्लभराम शर्मा मानव सेवा समिति का उदय हुआ।
सभी जीवन का बराबर मूल्य है
श्री बल्लभराम शर्मा मानव सेवा समिति एक गैर लाभ धमार्थ संगठन है जो वर्ष 2017 में स्वर्गीय श्री बल्लभराम शर्मा जी की स्मृति में उनकी प्रेरणा से स्थापित किया गया था ताकि जरूरतमंद लोगों को षिक्षा, प्रषिक्षण एंव वित्तीय सहायता द्वारा सषक्त बनाकर मुख्य धारा में जोडा जा सके। इस संगठन की स्थापना स्व0 श्री बल्लभराम शर्मा के सपने के परिणामस्वरूप की गई थी जिन्होंने स्वंम के जीवनकाल में संसाधनों की कमी के कारण चरम गरीबी के दिनों को देखा था लेकिन फिर भी अपने अविष्वसनीय प्रयासों और दृढ संकल्प के चलते अपने अधिकतर सपनों को साकार किया अपने संघर्ष कें बाद उन्होंने एक ऐसी सेवा के संबंध में सोचना शुरू कर दिया जो कि उन लोगों के लिए उपयोगी साबित हो सकता है जो अपने जीवन की मूलभूत आवष्यकताओं को वहन या पूरा करने में सक्षम नहीं थे।
इस तरह उन्होंने इस संगठन के उदय के संबंध में आषा की एक झलक देखना शुरू कर दिया। संगठन का पंजीकृत मुख्यालय राजस्थान के भरतपुर जिले की डीग तहसील के ऐतहासिक गांव अऊ में स्थित है। हम पुर्नवास की पेषकष के जरिए लोगों के स्वास्थ और जीवन को बेहतर बनाने पर ध्यान देते हैं जिससे व्यक्तियों को अत्यधिक अभाव और गरीबी से उभरने में मदद मिलती है व मानव जीवन की अन्य बुनियादी समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रयासरत हैं। ‘‘ मानव सेवा परमो धर्मः‘‘के सिद्यान्त पर चलकर हमारा संगठन यह सुनिष्चित करने का प्रयास करता है कि सभी व्यक्ति विषेषकर समाज के कम से कम संसाधन वाले लोग अपने सपनोें को साकार करने के लिए जीवन में सफल होंने के अवसरों तक पहुच सकें।